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मीडिया में 303 बोर की एक बंदूक को 300 बंदूकें बना दिया गया।

डा. राम मनोहर लोहिया को मीडिया पर गुस्सा आता था। उन्होंने शर्मसार करने वाला एक किस्सा सुनाया। तब कलकत्ते में साम्प्रदायिक दंगे हो रहे थे और महात्मा गांधी ने कलकत्ते में उपवास किया था। तब एक दिन महात्मा गांधी ने डा. लोहिया से कहा कि वे उन इलाकों में जाएं जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा संख्या में हैं। लोहिया मुस्लिम इलाकों में  जुझ रहे थे । इसी बीच एक खबर छप गई।

तब एक व्यक्ति के यहां एक बंदूक बरामद हुई। वह बंदूक 303 बोर की थी जिसे थ्री नट थ्री भी कहा जाता था। लेकिन मीडिया  ने उस एक व्यक्ति के घर बरामद 303 बोर की बंदूक की जो खबर बनाई, डा. लोहिया को भारतीय मीडिया पर शर्म आने लगी । डा. लोहिया ने इसकी कहानी में बताया कि मीडिया के लिए वह व्यक्ति अपराधी नहीं था। मीडिया ने उस व्यक्ति के जरिये मुस्लिम इलाकों को निशाना बनाया।

डा. लोहिया लिखते हैं कि “एक दिन अखबारों में यह खबर छपी कि मुसलमान इलाके में लगभग तीन सौ ( 300) बंदूकें पाई गई। जबकि हकीकत  है कि एक इलाके में एक व्यक्ति के यहां यहां एक बंदूक बरामद हुई थी और उस बंदूक को 303 बोर की बंदूक कहा जाता था।”

डा, लोहिया ने कहा कि घृणा और नफरत किसी को भी गूंगा, अंधा, बहरा कर देती है। यही नफरत और घृणा जब एक वैसे व्यक्ति के ऊपर सवार हो जाती है जो कि तकनीक के जरिये अपनी घृणा और नफरत को बहुत सारे लोगों के बीच पहुंचा सकते
है तो समाज का ढांचा चरमराने लगता है।

डा. लोहिया ने दुख जताते हुए महात्मा गांधी को पूछा कि आखिर ऐसी गलत खबरें छापकर हम जैसे लोगों के कामों को क्यों बेकार कर दिया जाता है।

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