तकनीक में विकास के साथ इंटरनेट पर हमारी निर्भरता काफी हद तक बढ़ गई है, लेकिन ऐसा लगता है कहीं न कहीं कॉल की गुणवत्ता के साथ समझौता किया जा रहा है। हाल ही समाज के लिए काम करने वाले प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया जिसके अनुसार भारत में 53 फीसदी मोबाइल उपयोगकर्ताओं को अपने मौजूदा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ कॉल कनेक्ट होने और कॉल में व्यवधान की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा, सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने डेटा पैक या वाई-फाई की मदद से व्हाट्सएप, फेसटाइम, स्काइप आदि जैसे ऑवर द टॉप प्लेटफॉर्मों (ओटीटी) से प्लेटफॉर्मों किए गए कॉलों पर भरोसा किया। हाई स्पीड इंटरनेट से टीवी और फिल्म देखने की सुविधा देने वाली प्रणाली को ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म कहा जाता है।
लोकलसर्कल्स के अनुसार इसने जो सर्वेक्षण किया, उसमें देश भर के 55,000 से ज्यादा अलग-अलग उपभोक्ताओं ने 76,000 से ज्यादा राय दी। इसने पिछले साल मई में और नवम्बर 2018 में भी इसी तरह के सर्वेक्षण किए थे और ऐसा लगता है कि उपभोक्ताओँ के लिए स्थिति बेहतर नहीं हुई है।
सर्वेक्षण के मुताबिक, कॉल कनेक्ट न होने और कॉल में व्यवधान का सामना करने वाले कुल उत्तरदाताओं में से 18 प्रतिशत ने कहा कि पिछले तीन महीनों में आधे से ज्यादा मोबाइल कॉल कनेक्ट होने और फोन पर बात करने के दौरान व्यवधान की समस्या आई। जबकि 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जवाब दिया कि 20-50 प्रतिशत को इस समस्या का सामना करना पड़ा। सर्वेक्षण के नतीजों में कहा गया है कि उत्तरदाताओं के 36 फीसदी ने 20 प्रतिशत तक कॉल कनेक्शन की समस्या का जिक्र किया और सिर्फ 11 प्रतिशत लोगों ने जवाब दिया कि पिछली तिमाही के दौरान उन्हें इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।
मोबाइल नेटवर्क में समस्याएं कई सालों से हैं। ये समस्याएं खासकर इसलिए हैं क्योंकि भारत दुनिया में सबसे सस्ती कॉल दर मुहैया कराने वाले देशों में से एक है और 2016 में रिलायंस जियो के आने के साथ ही भारत के दूरसंचार क्षेत्र में मोबाइल डेटा की कीमतों को लेकर जंग हो रही है। भले ही इस क्षेत्र में एक समेकन हो गया है और कई छोटे प्रतिद्वंद्वी प्रतिस्पर्धा से बाहर हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इस उद्योग का कॉल कनेक्टिविटी, कॉल ड्रॉप और कॉल में व्यवधान से संबंधित समस्याओं से अभी भी पीछा नहीं छूटा है।
यहां याद रखने की जरूरत है, डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) ने जून में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर रिलायंस जियो को इंटरकनेक्शन मुहैया नहीं करने पर जुर्माना लगाने को मंजूरी दी। इसके अलावा ऑपरेटरों पर ट्राई द्वारा निर्धारित सेवा मानकों की विभिन्न गुणवत्ता के मानदंडों का पालन नहीं करने के लिए भी जुर्माना लगाया गया था, जिसमें कॉल में व्यवधान और कॉल कनेक्ट न होने की समस्या भी शामिल थी। देश में दूरसंचार सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 1 अक्टूबर 2017 से ट्राई द्वारा प्रभावी नियमों के आधार पर जुर्माना लगाया गया था।
सर्वेक्षण के अनुसार पिछले नौ महीनों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ है और 89 प्रतिशत उत्तरदाताओं को कॉल कनेक्ट न होने और कॉल में व्यवधान की समस्याओं का सामना करना पड़ा। नवम्बर 2018 में किए गए पिछले सर्वेक्षण में भी ऐसी ही स्थिति थी।
सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि 80 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खराब कनेक्शन होने के बावजूद उनके कॉल 30 सेकेंड में खुद ब खुद नहीं कटते।
लोकलसर्कल्स के मुताबिक उसके 75 प्रतिशत उत्तरदाता व्हाट्सएप, फेसटाइम, स्काइप आदि की मदद से मोबाइल डेटा या वाईफाई के जरिए कॉल्स कर रहे थे, क्योंकि उन्हें अपने मोबाइल नेटवर्क से नियमित कॉल पर जुड़े रहने या बने रहने में समस्या होती थी। इस सर्वेक्षण में शामिल 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ऐसा पांच में से एक से ज्यादा बार हुआ और 27 प्रतिशत ने कहा कि ऐसा कॉल करने वाले समय में से 5-20 प्रतिशत के बीच हुआ और 27 प्रतिशत ने अन्य उत्तरदाताओं ने कहा कि ऐसा कॉल करने वाले समय में 5 प्रतिशत से कम हुआ जबकि बाकी 25 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके मोबाइल कॉल हमेशा निर्बाध रहे। पिछले सर्वेक्षण की तुलना में मोबाइल कनेक्टिविटी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है, क्योंकि उपभोक्ताओं का ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर ही निर्भर रहना जारी हैं।
इन प्रश्नों के अलावा, इस सर्वेक्षण में उपभोक्ताओं ने यह भी बताया कि उनके लिए कौन सी समस्या बड़ी है- कॉल कनेक्ट होने की या कॉल में व्यवधान की, वोडाफोन, एटरटेल, जियो और आइडिया के उपभोक्ताओं को कॉल कनेक्ट न हो पाने और कॉल में व्यवधान का सामना करना पड़ता है।
सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क में ग्राहकों को लुभाने के लिए उन्हें कई छूटों मसलन ओटीटी वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों तक पहुंच, अतिरिक्त डेटा और बहुत कुछ मुहैया कराने का प्रस्ताव दे रही है। इस समूची आपाधापी में कहीं न कहीं मोबाइल कॉल कनेक्टिविटी जैसी मूलभूत सुविधा प्रभावित हुई है।
अंग्रेजी से अनुवादः संजय कुमार बलौदिया