*शुभम
मीडिया के कामकाज के तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है। मीडिया संस्थान द्वारा पहले किसी खबर को प्रकाशित किया जाता है, लेकिन उसके कुछ समय बाद ही उस खबर को किन कारणों से हटाया गया इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिलती है। इस तरह खबरों को हटाने पर संपादकों की तरफ से कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया जाता है। यहां उदाहरण के लिए कुछ खबरें दी गई हैं जिन्हें पहले प्रसारित/प्रकाशित किया और बाद हटा लिया गया। यह अध्ययन का विषय है कि कब से और किस तरह से मीडिया में इस तरह खबरों को प्रकाशित करने/हटाने का चलन शुरू हुआ। हम सिर्फ उन्हीं खबरों को आपके सामने रख रहे हैं जोकि पब्लिक डोमेन में हैं।
अमित शाह की सम्पत्ति में अकूत इजाफा हो या फिर भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का आलोचनात्मक परीक्षण और स्मृति ईरानी की डिग्री जैसी महत्वपूर्ण, और विवादित खबरों का बड़े मीडिया हाउसों ने एकबारगी वेबसाइट्स पर प्रकाशन/प्रसारण जरूर किया, लेकिन महज कुछ घंटों में ही ये खबरें वेबसाइट्स से गायब हो गईं।
द वायर के अनुसार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जिस जिला सहकारी बैंक के निदेशक हैं, वहां नोटबंदी के फैसले के बाद करीब 745 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। यह जानकारी न्यूज एजेंसी आईएएनएस को एक आरटीआई के जवाब में मिली थीं। ऐसे में कई लीडिंग वेब पोर्टल्स ने इसका प्रकाशन/प्रसारण किया। द कॉइन क्रंच वेबसाइट के अनुसार, इस खबर को ऑनलाइन चलाने वाली वेबसाइट्स में न्यूज 18, न्यू इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट जैसे बड़े न्यूजपोर्टल शामिल हैं। न्यूज-18 पर स्टोरी Bank with Amit Shah as Director Collected Most Banned Notes Among DCCBs: RTI पब्लिश होती है लेकिन वेबसाइट पर अपलड करने के कुछ समय बाद ही इसे हटा दिया गया। हालांकि इससे जुड़ी कुछ फॉलोअप खबरें जरूर वेबसाइट पर चलाई जा रही हैं जिनमें डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई है। द वायर के अनुसार, इससे पहले जुलाई 2017 में टाइम्स ऑफ इंडिया और डीएनए ने अमित शाह की संपत्ति में 300 गुणा इजाफा होने की खबर प्रकाशित की थी। लेकिन वेबसाइट पर चलाने के महज कुछ घंटों बाद ही इसे वेबसाइट से हटा लिया गया।
भारत के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप टाइम्स ऑफ इंडिया के जयपुर एडिशन में रोसम्मा थॉमस की एक स्टोरी Crop insurance: Farmer taken for ‘premium’ ride पब्लिश होती है जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का आलोचनात्मक परीक्षण किया जाता है। स्टोरी के अनुसार, किसानों के लिए लाभदायक होने का दावा करने वाली यह महत्वाकांक्षी योजना गरीब कृषकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। द वायर के मुताबिक, वेबसाइट पर प्रकाशन के कुछ घंटों बाद ही इस स्टोरी को वेबसाइट से हटा लिया गया। वेबसाइट के अनुसार, टाइम्स ऑफ इंडिया के कुछ कर्मचारी नाम न उजागर करने की शर्त पर बताते हैं कि उन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर सरकारी योजनाओं के प्रति सकारात्मक खबरें लिखने के लिए कहा गया है। कई बार उन्हें सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली स्टोरीज को वेबसाइट से हटाने और यहां तक कि डिइंडेक्स तक करने के लिए कहा जाता है। (किसी स्टोरी या पेज को डिइंडेक्स करने से वह गूगल सर्च में भी नहीं दिखाई देती है।)
इसी तरह 2017 में कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्री जहां एक वक्त काफी विवादों में रही, तो वहीं इससे जुड़ी खबरों पर ऑनलाइन मीडिया को संभवतः काफी दबावों का सामना करना पड़ा। शायद यही कारण है कि स्मृति ईरानी की डिग्री से जुड़ी यह खबर कि अभी उनकी कॉमर्स की बैचलर डिग्री पूरी नहीं हुई है, ऑनलाइन पर प्रकाशन के कुछ ही घंटो बाद हटा ली गई। दरअसल स्मृति ईरानी ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपने हलफनामें में कहा था कि उन्होंने 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कॉरेस्पॉन्डेंस से बीकॉम पार्ट वन किया है। लेकिन उससे पहले जब 2004 के लोकसभा चुनावों में वह चांदनी चौक से चुनाव लड़ी थीं, तब उन्होंने अपने हलफनामें में कहा था कि उन्होंने 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कोरेस्पॉन्डेंस से बीए किया है। यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया सहित नवभारत टाइम्स और इकोनॉमिक टाइम्स पर भी ऑनलाइन चलाई गई थी, लेकिन फिर हटा ली गई। यही नहीं, स्मृति ईरानी पर सांसद स्थानीय विकास निधि में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली याचिका से जुड़ी खबर को भी बेहद शांत अंदाज में वेबसाइट्स पर से हटा लिया गया था।
खबरों के प्रकाशित होने और हटाने से आसानी यह समझा जा सकता है कि मीडिया किस तरह के दबावों के साथ काम कर रहा है। साथ ही मीडिया की स्वतंत्रता भी इससे प्रभावित हो रही है।
संदर्भ–
- https://thewire.in/media/times-of-india-vasundhara-raje-bjp-narendra-modi-press-censorship
- https://thewire.in/media/amit-shah-bank-demonetisation-news18-new-indian-express
- https://thewire.in/media/amit-shah-assets-smriti-irani-degrees-toi-et-outlook
- https://coincrunch.in/2018/06/22/can-we-trust-media-websites-take-down-story-on-amit-shah/
*शुभम पत्रकार हैं