एक छोटा सा समूह टेलीविजन चैनलों में किसी मुद्दे पर होने वाली बहसों में एकाधिकार बनाए रखता है। सेना में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर देश के विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर हुई बहस में चार वर्गों के 54 लोग ही घूम फिरकर छाए रहें। मीडिया स्टडीज ग्रुप के टेलीविजन कार्यक्रम सर्वेक्षण (टीपीएस) के तहत एक सर्वेक्षण में विभिन्न मुद्दों पर आयोजित बहसों में हिस्सेदारी की पृष्ठभूमि की कई दिलचस्प जानकारियां मिली है।
‘कम लोग बातें ज्यादा’ नाम से किए गए इस सर्वे में हिन्दी और अंग्रेजी के तीन-तीन चैनलों में प्रसारित किए गए 24 कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वालों को शामिल किया गया है। सर्वे के परिणाम बताते हैं कि टेली बहस में भाग लेने वालों में देश की दो राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की 82 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। 24 कार्यक्रमों में कुल 56 प्रतिशत लोग ही घूम फिरकर विभिन्न चैनलों में सेना के लिए खरीददारी में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करते रहे। इसमें सेना के पूर्व अधिकारियों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत, राजनीतिक दलों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत, पूर्व नौकरशाहों की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत और पत्रकारों की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत और अन्य की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत थी। इस मुद्दे पर समाज के व्यापक दायरे का यही प्रतिनिधित्व टेली बहस में दिखाई दिया।
सर्वे में 6 चैनलों पर दिखाए गए 24 कार्यक्रमों को उपलब्धता के आधार पर लिया गया है। 15 कार्यक्रम अंग्रेजी चैनल के और 9 कार्यक्रम हिन्दी चैनल के हैं। सर्वे में टेलीविजन चैनलों पर आयोजित बहसों में हिस्सेदारों का विश्लेषण में पाया गया है कि महिलाओं की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत रही। सेना का प्रतिनिधित्व करने वाले टिप्पणीकारों में एक भी महिला नहीं है, जबकि पूर्व नौकरशाहों में एक मात्र महिला टिप्पणीकार ने अंग्रेजी के एक कार्यक्रम में हिस्सेदारी की। अंग्रेजी के ही चैनल पर एक मात्र महिला पत्रकार ने हिस्सेदारी की। राजनीतिक दलों की तरफ से तीन महिलाओं ने हिस्सेदारी की। इनमें कांग्रेस की दो महिला प्रवक्ताओं ने हिन्दी के चैनलों पर बहस में हिस्सा लिया तो भाजपा की एक मात्र महिला प्रवक्ता ने अंग्रेजी कार्यक्रम में हिस्सेदारी की। मीडिया स्टडीज ग्रुप की तरफ से इस सर्वे को विजय प्रताप ने डिजाइन किया। ग्रुप पिछले छह वर्षों से मीडिया से संबंधित कई सर्वे और शोध कर रहा है। हाल ही में मीडिया स्टडीज ग्रुप का ‘डीडी उर्दू चैनल’ का सर्वे चर्चा में आया है।
सेना का प्रतिनिधित्व करने वाले हिस्सेदारों में एक सैन्य अधिकारी ने 6 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उनका अकेले कुल कार्यक्रमों में पच्चीस प्रतिशत हिस्सेदारी और बाकी सैन्य टिप्पणीकारों में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। सेना के कुल चार प्रतिनिधियों की कुल कार्यक्रमों में हिस्सेदारी 75 प्रतिशत रही। राजनीतिक दलों में कांग्रेस के एक प्रवक्ता की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत रही है। वे केवल अंग्रेजी के चैनलों पर दिखे। अंग्रेजी के चैनलों में उनकी अकेले की हिस्सेदारी एक तिहाई थी।
नौकरशाहों की मौजूदगी टेलीविजन चैनलों की बहसों में केवल अंग्रेजी के चैनलों में ही देखी गई। हिन्दी चैनलों के पास बहस के लिए एक भी पूर्व नौकरशाह नहीं था।
मीडिया स्टडीज ग्रुप का टेलीविजन कार्यक्रम सर्वेक्षण( टीपीएस)
सर्वे का विस्तृत ब्यौरा
सेना में खरीददारी में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर 26 मार्च से 2 अप्रैल 2012 के बीच टेलीविजन चैनलों पर बहसें आयोजित की गई। यह सर्वे उन बहसों में हिस्सेदार लेने वालों के बारे में हैं।
इस सर्वे का उद्देश्य टेलीविजन चैनलो पर होने वाली बहसों में हिस्सेदारी का विश्लेषण करना है।
सर्वे में हिन्दी और अंग्रेजी के तीन तीन चैनलों के 24 कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वालों को शामिल किया गया है।
हिन्दी चैनलों के नौ कार्यक्रमों को शामिल किया गया है जबकि अंग्रेजी के 15 कार्यक्रमों को शामिल किया गया है। यह कार्यक्रमों की उपलब्धता के आधार पर किया गया है।
इन बहसों में कुल 54 लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें 5 महिलाओं की हिस्सेदारी थी।
इन बहसों और विमर्शों में कुल 17 सैन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया। उनकी हिस्सेदारी 31 प्रतिशत रही।
सैन्य प्रतिनिधित्व का विश्लेषण
- एक सैन्य अधिकारी ने 6 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
उनकी कुल कार्यक्रमों में पच्चीस प्रतिशत और हिस्सेदारों में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।
- तीन सैन्य अधिकारियों ने 4 – 4 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
इस तरह केवल चार अधिकारियों ने 75 प्रतिशत कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की।
- तीन सैन्य अधिकारियों ने 3-3 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
इस तरह 24 कार्यक्रमों में 7 सैन्य अधिकारी ऐसे थे जो किसी ना किसी एक बहस में उपस्थित रहे।
- 6 सैन्य अधिकारियों ने केवल अंग्रेजी चैनलों, 9 ने केवल हिंदी चैनलों और दो ने दोनों चैनलों में हिस्सा लिया।
- बहस में शामिल सैन्य अधिकारियों में एक भी महिला नहीं है।
राजनीतिक दलों के हिस्सेदारों का विश्लेषण
- राजनीतिक दलों के कुल 17 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। उनकी हिस्सेदारी 31 प्रतिशत रही।
- सभी प्रतिनिधि पांच राजनीतिक दलों से थे।
- इन कार्यक्रमों में कांग्रेस के 8 और भाजपा के 6 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कुल राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों में इन दोनों दलों की हिस्सेदारी 82 फीसद रही।
- कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने 5 और भाजपा के तरुण विजय ने 3 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। ये सभी कार्यक्रम अंग्रेजी चैनलों के थे। भाजपा के भूपेंद्र यादव हिंदी के दो कार्यक्रमों में रहे।
- 17 प्रतिनिधियों में से केवल एक जनता दल यूनाइटेड के साबिर अली क्षेत्रीय दल से हिंदी के कार्यक्रम में थे।
- 17 प्रतिनिधियों में सीपीआई के केवल एक प्रतिनिधि डी राजा अंग्रेजी के कार्यक्रम में थे।
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर हिंदी के दो कार्यक्रमों में मौजूद रहे।
- इन कार्यक्रमों में कांग्रेस की 2 और भाजपा की 1 महिला प्रवक्ता शामिल हुईं। कांग्रेस की दोनों प्रवक्ता हिंदी चैनलों पर और भाजपा की प्रवक्ता अंग्रेजी के चैनल पर रही।
नौकरशाहों की हिस्सेदारी का विश्लेषण
- कुल 7 नौकरशाहों ने हिस्सा लिया। उनकी हिस्सेदारी 13 प्रतिशत रही।
- सभी नौकरशाहों की उपस्थिति अंग्रेजी के दो चैनलों में थी।
- 3 नौकरशाह 2-2 कार्यक्रम में उपस्थित थे।
- कार्यक्रमों में एक महिला नौकरशाह अंग्रेजी चैनल पर मौजूद रही।
हिस्सेदार पत्रकारों का विश्लेषण
- इन बहसों और विमर्शों में रक्षा मामलों से जुड़े चैनलों में कार्यरत पत्रकारों के अलावा कुल 7 पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
- 24 कार्यक्रमों में सीएनएन आईबीएन के कार्यक्रमों की संख्या 7 है।
- सीएनएन आईबीएन ने अपने 2 पत्रकारों को 2 कार्यक्रमों का हिस्सेदार बनाया।
- एनडीटीवी ने एक कार्यक्रम में अपने एक पत्रकार को हिस्सेदार बनाया।
- 7 में एक पत्रकार ने 4 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, एक ने 3 और एक ने 2 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इन तीन पत्रकारों की कार्यक्रमों में हिस्सेदारी 37 और हिस्सेदारों में 42 फीसद रही।
- सबसे ज्यादा 5 पत्रकार हिंदी के चैनल एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम में आए।
- एक मात्र महिला पत्रकार अंग्रेजी चैनल में हिस्सेदार रही
इन कार्यक्रमों में सैन्य अधिकारियों, नौकरशाहों, पत्रकारों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा तीन अन्य लोग भी इनके हिस्सेदार बनें।
- एन हनुमनथप्पा ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एससी, एसटी, ओबीसी, माइनॉरिटी वेलफेयर एसोसिएशन के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने 2009 में ही सेना से जुड़ी खरीद-फरोख्त में घपलों की शिकायत की थी। वे अंग्रेजी के दो कार्यक्रम के हिस्सेदार रहें।
- भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) के पूर्व ठेकेदार अनिल बक्शी एनडीटीवी 24/7 के दो कार्यक्रमों में रहें।
- सीएसडीएस के फेलो अभय कुमार दूबे एनडीटीवी इंडिया के एक हिन्दी कार्यक्रम में रहें।
चैनलों पर आयोजित बहस में शामिल सैन्य अधिकारी
क्रम | सैन्य अधिकारी | एनडीटीवी इंडिया | एनडीटीवी 24@7 | सीएनएन आईबीएन | आईबीएन 7 | जी न्यूज | टाइम्स नाउ | कुल | |
1 | राज कादयान | 2 | 1 | 2 | 1 | 6 | |||
2 | शंकर राय चौधुरी | 2 | 2 | ||||||
3 | जी.डी. बक्शी | 1 | 2 | 3 | |||||
4 | नीलेंद्र कुमार | 2 | 2 | 4 | |||||
5 | वी. महालिंगम | 1 | 1 | 2 | 4 | ||||
6 | सतवीर सिंह | 1 | 1 | ||||||
7 | एस. कृष्णास्वामी | 1 | 1 | ||||||
8 | प्रफुल्ल बक्शी | 2 | 1 | 3 | |||||
9 | वी.एन. धार | 1 | 1 | ||||||
10 | पी.एन. हून | 1 | 2 | 3 | |||||
11 | विष्णु भागवत | 1 | 1 | ||||||
12 | आर.के. साहनी | 1 | 1 | ||||||
13 | शंकर प्रसाद | 1 | 1 | ||||||
14 | वी.जी. पटांकर | 1 | 1 | ||||||
15 | वी. पी. मलिक | 2 | 2 | 4 | |||||
16 | डीबी शेकातकर | 1 | 1 | ||||||
17 | तेजिन्दर सिंह | 1 | 1 |
चैनलों पर आयोजित बहस में शामिल राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि
क्रम | प्रतिनिधि | पार्टी | एनडीटीवी इंडिया | एनडीटीवी 24@7 | सीएनएन आईबीएन | आईबीएन 7 | जी न्यूज | टाइम्स नाउ | कुल |
1 | मनीष तिवारी | कांग्रेस | 1 | 1 | 2 | ||||
2 | अभिषेक मुन सिंघवी | कांग्रेस | 2 | 3 | 5 | ||||
3 | सत्यव्रत चतुर्वेदी | कांग्रेस | 1 | 1 | 2 | ||||
4 | शकील अहमद | कांग्रेस | 1 | 1 | |||||
5 | प्रभा ठाकुर | कांग्रेस | 1 | ||||||
6 | रेणुका चौधरी | कांग्रेस | 1 | 1 | |||||
7 | मणिशंकर अय्यर | कांग्रेस | 1 | 1 | |||||
8 | संतोष बागरोड | कांग्रेस | 1 | 1 | |||||
9 | चंदन मित्रा | भाजपा | 1 | 1 | 2 | ||||
10 | प्रकाश जावडेकर | भाजपा | 1 | 1 | 2 | ||||
11 | तरुण विजय | भाजपा | 2 | 1 | 3 | ||||
12 | एन. सीतारमण | भाजपा | 1 | 1 | |||||
13 | भूपेंद्र यादव | भाजपा | 2 | 2 | |||||
14 | विजय गोयल | भाजपा | 1 | 1 | |||||
15 | डी राजा | भाकपा | 1 | 1 | |||||
16 | साबिर अली | जेडीयू | 1 | 1 | |||||
17 | तारिक अनवर | एनसीपी | 2 | 2 |
चैनलों पर आयोजित बहस में शामिल नौकरशाह
क्रम | नौकरशाह | पद | एनडीटीवी इंडिया | एनडीटीवी 24@7 | सीएनएन आईबीएन | आईबीएन 7 | जी न्यूज | टाइम्स नाउ | कुल |
1 | टीएसआर सुब्रमह्नण्यम | पूर्व कैबिनेट सचिव | 2 | 2 | |||||
2 | सुधीर कुमार | पूर्व सतर्कता आयुक्त | 1 | 1 | 2 | ||||
3 | एन. विट्टल | पूर्व सतर्कता आयुक्त | 1 | 1 | |||||
4 | जी. पार्थसारथी | पूर्व सचिव | 1 | 1 | |||||
5 | बृजेश कुमार मिश्र | पूर्व सुरक्षा सलाहकार | 1 | 1 | |||||
6 | कंवल सिब्बल | पूर्व विदेश सचिव | 1 | 1 | 2 | ||||
7 | शैलजा चंद्रा | पूर्व मुख्य सचिव दिल्ली | 1 | 1 |
चैनलों पर आयोजित बहस में शामिल पत्रकार/रक्षा विशेषज्ञ
क्रम | प्रतिनिधि | पद | एनडीटीवी इंडिया | एनडीटीवी 24@7 | सीएनएन आईबीएन | आईबीएन 7 | जी न्यूज | टाइम्स नाउ | कुल |
1 | भरत वर्मा | संपादक,इंडियन डिफेंस रिव्यू | 2 | 1 | 3 | ||||
2 | मारुफ रजा | रक्षा मामलों के विशेषज्ञ | 2 | 2 | |||||
3 | अजय शुक्ला | रक्षा पत्रकार | 1 | 2 | 1 | 4 | |||
4 | नितिन गोखले | डीफेंस एडिटर एनडीटीवी | 1 | 1 | |||||
5 | विनोद मेहता | संपादक, आउटलुक | 1 | 1 | |||||
6 | सूर्या गंगाधरन | रणनीतिक मामलों के संपादक, सीएनएन | 1 | 1 | |||||
7 | मुकेश कौशिक | रक्षा विशेषज्ञ | 1 | 1 | |||||
8 | राहुल बेदी | पत्रकार, डिफेंस वीकली | 1 | 1 | |||||
9 | अनुभा भोसले | वरिष्ठ संपादक, सीएनएन | 1 | 1 | |||||
10 | विनोद शर्मा | पत्रकार, हिंदुस्तान टाइम्स | 1 | 1 |