देश में पत्रकारिता के अध्ययन और व्यावहारिक प्रशिक्षण की इस पृष्ठभूमि से जाहिर है कि असमान स्थितियों और कई तरह के अंतर्विरोधों के बीच पत्रकारिता का भविष्य तैयार हो रहा है। पत्रकारिता को व्यवसाय के लिए अध्ययन का क्षेत्र बनाने पर ज्यादा जोर दिखता है न कि लोकतंत्र के लिए भविष्य की पत्रकारिता को एक शक्ल देने की कोई ठोस योजना है। लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारों के आलोक में नीतिगत स्तर पर पत्रकारिता की कोई ठोस शक्ल सूरत नहीं होने की स्थिति में यह जरूरी लगता है कि हमें भविष्य की पत्रकारिता का एक आकलन करना चाहिए। इसी उद्देश्य से निम्न अध्ययन का प्रारूप तैयार किया गया है। सर्वेक्षण के रूप में यह संक्षिप्त अध्ययन सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के छात्र-छात्राओं के बीच किया गया है।
इस सर्वेक्षण में दिल्ली विश्वविद्यालय अंतर्गत अदिति महाविद्यालय, रामलाल आनंद कॉलेज, भीमराव अम्बेडकर कॉलेज और गुरुनानक देव खालसा कॉलेज व जामिया मिलिया इस्लामिया के पी.जी डिप्लोमा तथा निजी क्षेत्र के शारदा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र -छात्राओं को शामिल किया गया है। इस सर्वेक्षण में दिल्ली विश्वविद्यालय एवं उसके अंतर्गत कॉलेजों के 209 छात्र, केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया के 40 छात्र और शारदा विश्वविद्यालय के 54 छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
पूरा सर्वेक्षण पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
पत्रकारिता संस्थानों में एक सर्वेक्षण