प्रतीक सिन्हा
सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर चल रहे कम-से-कम दो भ्रामक वीडियो में दावा किया गया है कि भारतीय मुसलमानों ने चैम्पियंस ट्रॉफी क्रिकेट के फाइनल में भारत पर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया। भ्रामक वीडियो डालने वालों के मुताबिक ये जश्न दिल्ली, वडोदरा और मुंबई के मीरा रोड इलाके में मनाये गये। हकीकत में, इनमें से एक वीडियो पाकिस्तान का है। दूसरा वीडियो बेशक गुजरात के वडोदरा का ही है मगर इसे चैम्पियंस ट्रॉफी से कई महीनों पहले बनाया गया था।
वडोदरा का वीडियो जिस ट्विटर अकाउंट से प्रसारिता (सर्कुलेट) किया गया वह सोनम महाजन (@As YouNotWish) का है। इस प्रमुख दक्षिणपंथी ट्विटर अकांउट में दावा किया गया कि वीडियो में भारतीय मुसलमान पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाते हुए नजर आ रहे हैं। सोनम महाजन ने अपने भ्रामक ट्वीट को अब डिलीट कर दिया है।
सोनम महाजन के अकाउंट को ट्विटर ने हाल ही में निलंबित कर दिया था। मगर दक्षिणपंथियों की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद इस निलंबन को वापस ले लिया गया। ऑपइंडिया, रवीना टंडन और मधुर भंडारकर जैसी प्रमुख दक्षिणपंथी वेबसाइटों और व्यक्तियों ने सोनम महाजन का समर्थन किया। देखना यह है कि क्या ट्विटर नफरत फैलाने वाले संदेश के साथ फर्जी वीडियो पोस्ट करने की सोनम महाजन की ताजा करतूत को नजरंदाज कर देगा।
फेसबुक पर भी इस वीडियो को खूब शेयर किया गया। बजरंग दल (अनऑफिशियल) नामक एक पेज में इस वीडियो को संपादित कर इसमें भ्रामक टेक्स्ट भी डाल दिया गया, ‘‘पाकिस्तान के खिलाफ भारत की पराजय पर दिल्ली में खुशियां मनाते भारतीय मुसलमान।’’
भारत की हार के तुरंत बाद प्रसारित किये गये इस वीडियो में जश्न का आयोजन स्थल गुजरात का वडोदरा बताया गया है।
वास्तव में, यह वीडियो सोशल मीडिया पर कई महीनों से है। इसका चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत पर पाकिस्तान की जीत से कोई लेना-देना नहीं है। इसी वीडियो को यूट्यूब पर 15 मार्च, 2017 को डाला गया था। बिना वॉटरमार्क के मूल वीडियो को सफवान खान नामक व्यक्ति के इंस्टाग्राम अकाउंट पर हैशटैग #miabhai#ki#dairing#raees#safwaankhan के साथ डाला गया था। इस वीडियो में की गयी करतबबाजी की तारीफ नहीं की जा सकती। लेकिन इसका पाकिस्तान की जीत से कोई नाता नहीं है। करतबबाज के हाथ के झंडे को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने पाकिस्तान का राष्ट्रध्वज बताया जबकि यह इस्लामी झंडा है।
वीडियो वास्तव में वडोदरा के अकोटा-डांडियाबाजार ओवरब्रिज का ही है। पहले-पहल वीडियो डालने वालों ने जगह तो सही बतायी मगर इसे चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल मैच के बाद का बताना सरासर गलत है। एसएम हॉक्स स्लेयर ने पहली बार इस वीडियो के भ्रामक होने का पर्दाफाश किया।
दूसरे वीडियो में एक हॉल में मौजूद बच्चे और बालिग पाकिस्तान की जीत पर खुशियां मना रहे हैं। वीडियो डालने वालों ने इसे भारतीय मुसलमानों का जश्न बताया है। ‘वी सपोर्ट अर्नब गोस्वामी’ नामक एक पेज पर इस वीडियो के 11000 से ज्यादा शेयर हैं।
यूट्यूब और फेसबुक पर भी इस वीडियो को कई बार पोस्ट किया गया है।
गौर से देखें तो इस वीडियो में टेलीविजन चैनल पर पीटीवी स्पोर्ट्स का ‘लोगो’ है। वीडियो धुंधला होने के बावजूद ‘लोगो’ को साफ तौर पर पहचाना जा सकता है। भारत में पीटीवी के प्रसारण पर प्रतिबंध है। लिहाजा यह वीडियो पाकिस्तान या किसी ऐसे अन्य देश का है जहां पीटीवी देखा जाता है। यह वीडियो भारत का तो कतई नहीं है। वीडियो में दिखाई दे रहा ‘लोगो’ किसी भी भारतीय खेल चैनल का नहीं है। यह इस वीडियो के भारत का नहीं होने का एक और सबूत है।
यूट्यूब पर वीडियो को इस शीर्षक के साथ डाला गया है, ‘‘चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत पर पाकिस्तानी दाउदी बोहराओं का जश्न।’’
खेलों को मनोरंजन के लिये देखा जाना चाहिये। कौन किस टीम का समर्थन करता है इस आधार पर किसी को भी अपमानित नहीं किया जाना चाहिये, लेकिन ऐतिहासिक कारणों से भारत-पाकिस्तान मैचों का मतलब ही कुछ और होता है। कम-से-कम तीन राज्यों में पुलिस ने अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों को पाकिस्तान की जीत का कथित तौर से जश्न मनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
अंग्रेजी से अनुवादः पार्थिव कुमार (जन मीडिया के जुलाई अंक-64 में प्रकाशित शोध संदर्भ)